भौतिकी में, आवेग (impulse) को बल और समय के गुणनफल के रूप में परिभाषित किया जाता है। अर्थात्,
आवेग (I) = बल (F) * समय (t)
आवेग एक सदिश राशि है, जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। आवेग के परिमाण को संवेग परिवर्तन के बराबर माना जाता है। अर्थात्,
आवेग (I) = संवेग परिवर्तन (ΔP)
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है, तो उस बल के कारण वस्तु के संवेग में परिवर्तन होता है। एक छोटा बल अधिक समय तक लगाकर अथवा एक बड़ा बल कम समय तक लगाकर बराबर मात्रा में संवेग परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है। इसीलिए संवेग परिवर्तन की दृष्टि से केवल बल का महत्त्व न होकर बल का समय के सापेक्ष समाकलन (अर्थात् आवेग) का महत्त्व है।
आवेग के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
जब हम क्रिकेट का बल्ला मारते हैं, तो बल्ले से गेंद पर लगाया गया बल गेंद के संवेग में परिवर्तन करता है, जिससे गेंद दूर उड़ जाती है।
जब हम किसी गेंद को पकड़ते हैं, तो गेंद के संवेग को कम करने के लिए हम हाथों को तेजी से पीछे हटाते हैं।
जब हम किसी कार को चलाते हैं, तो कार के इंजन द्वारा उत्पन्न बल कार के संवेग में परिवर्तन करता है, जिससे कार आगे बढ़ती है।
आवेग का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:
इंजीनियरिंग: आवेग का उपयोग मशीनों और अन्य उपकरणों के डिजाइन में किया जाता है। उदाहरण के लिए, कार के इंजन के डिजाइन में आवेग का उपयोग करके कार को तेजी से गति देने के लिए आवश्यक बल की गणना की जा सकती है।
भौतिक चिकित्सा: आवेग का उपयोग चोटों के उपचार में किया जाता है। उदाहरण के लिए, प्लास्टर कास्ट हटाने के बाद आवेग का उपयोग पैर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है।
खेल: आवेग का उपयोग खेलों में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, क्रिकेट में बल्लेबाज आवेग का उपयोग गेंद को तेजी से मारने के लिए करते हैं।
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